यह स्तम्भ एक प्रयास है, अपनी कुछ अनुदित रचनाओं को स्वजनों तक पहुचाने का...
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Sunday, July 18, 2010

प्यार जिंदगी और गम

अगर जिंदगी में गम नहीं होते |
तो शायद हम हम नहीं होते |
ये माना की कहानी अधूरी रह गयी |
लकिन प्यार के दो पल भी कम नहीं होते |

1 comment:

  1. खुशियों के आगोश में जीना आसाँ है यारों
    जरा ग़मों से सराबोर जिंदगी भी जी कर देख लो।१।

    खुशियाँ हो चारो तरफ ऐसी जिंदगी सभी की चाह है,
    ग़मों की जिंदगी मगर कोई न जीना चाहे। २ ।

    दुखों से काहे मुंह मोड़ते हो, जरा उन्हें भी तो जीकर देख लो
    खुशियों का क्या है , वो तो सभी की चाहत है। ३।

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